Gopashtami 2021: Gopashtami festival is celebrated 8 days after Govardhan Puja. This festival is associated with Lord Krishna. Blessings are taken from them by serving the cow dynasty on this day. It is believed that Lord Indra had rained heavily for several days to submerge the people of Nand village in water. During this, from Kartik Shukla Pratipada to Saptami, Lord Krishna wore Govardhan mountain on his finger. Due to which the rain of Indra Devta did not have any effect on the people of the village. On the eighth day, Indra Dev realized his mistake and went to Lord Krishna to ask for forgiveness. Since then the festival of Gopashtami is celebrated on the day of Kartik Shukla Ashtami. Try to get up early in the morning on the day of Gopashtami. After this, feed the cows by giving jaggery-bread etc. to them and serve them. The cowherds who serve the cows on that day should also be honored by giving them gifts. After worshiping the cows in the evening, give them something to eat again. After this, worship the feet of Gaumata by applying soil on the forehead. Also, pray to God that he keeps getting this opportunity to do cow service again and again.
Gopashtami 2021: गोवर्धन पूजा के 8 दिन बाद गोपाष्टमी पर्व मनाया जाता है. यह पर्व भगवान कृष्ण (Lord Krishna) से जुड़ा हुआ है. इस दिन गौ वंश (Cow) की सेवा कर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है. मान्यता है कि इंद्र देवता ने नंद गांव के लोगों को पानी में डुबोने के लिए कई दिनों तक घनघोर बारिश की थी. इस दौरान कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तक भगवान श्री कृष्ण (Lord Krishna) ने अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत धारण किया था. जिससे इंद्र देवता की बारिश का कोई असर गांव के लोगों पर नहीं पड़ा. आठवें दिन इंद्र देव को अपनी भूल का अहसास हुआ और वे प्रभु श्रीकृष्ण के पास क्षमा मांगने गए. तभी से कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है. गोपाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठने की कोशिश करें. इसके बाद गायों (Cow) को गुड़-रोटी आदि देकर उन्हें भोजन कराएं और उनकी सेवा करें. उस दिन गायों की सेवा करने वाले ग्वालों को भी उपहार देकर सम्मान करना चाहिए. शाम को गायों का पूजन करके उन्हें फिर से कुछ खाने के लिए दें. इसके बाद गौमाता के चरणों की मिट्टी को माथे पर लगाकर प्रणाम करें. साथ ही ईश्वर से प्रार्थना करें कि उन्हें गो-सेवा करने का यह अवसर बार-बार मिलता रहे.
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